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डर : एक खौफनाक एहसास ep 3

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तभी अचानक से हर्षित को अपने कन्धे पर किसी का हाथ महसूस हुआ और वह अपनी जगह पर उछल पड़ा। "बच्चे की जान लोंगे क्या?" हर्षित ने लगभग हांँफते हुए कहा। उसका चेहरा पसीने से पूरी तरह से भीग चुका था और डर उसके चेहरे पर साफ साफ झलक रहा था।

यह हाथ किसी और का नहीं बल्कि वरदान का हाथ था। हर्षित के इस तरह से डरने और बीते दिनों कि घटनाएंँ बताएं जाने के बाद वहांँ पर मौजूद सभी लोगों के चेहरों पर डर साफ़ साफ़ दिखाई दे रहा था।

"इस तरह की अजीबों-गरीब घटनाएंँ तो मेरे साथ भी हो रही है।" तभी पीछे से एक आवाज सुनाई दी जोकि एक तेईस चौबीस साल के लडके की थी। वह अमन था जिसकी आवाज से साफ़ पता चल रहा था कि उसके साथ भी कुछ ना कुछ डरावना घटित हुआ था।

"हमारे साथ भी।" अमन की बात सुनकर एरीना ऑफिस में मौजूद सभी ने एक साथ कहा।

"ऐसा क्या? सभी के साथ ये घटनाएंँ घट रही है। पहले सब लोग बताओं कि उनके साथ क्या क्या घटित हुआ?" काफी देर से खामोश आंँचल की आवाज सुनाई दी। सभी लोगों ने आंँचल की बात पर सहमति जताते हुए एक साथ सिर हिलाया।

"तो अब तुम बताओं अमन कि तुम्हारे साथ क्या हुआ था?" दिव्यांशु त्रिपाठी ने अमन की तरफ देखते हुए कहा। इसके साथ ही अमन बीते दिन की घटना को याद करने लगा।

अंधेरे कमरें में बैठा हुआ अमन कहानी लिख रहा था। वह अपने कमरे में टेबल और चेयर डालकर बैठा हुआ था और 'सरस्वती शासन' लिख रहा था।

"अपराधियों की इस गम्भीर मनोदशा के कारण वह जल्दबाजी में था। भगवान ना करे तनु जैसी मासूम लड़की अपराधियों की इस प्रवृति का शिकार हो जाए क्योंकि अपराधी बिल्कुल भी रहम नहीं करेगें। वह उस मासूम लड़की को नोचेंगे और भूखे भेड़ियों की तरह उस पर टूट पडेंगे और जब तक उनका दिल नहीं भर जाता, तब तक उससे अपना मनोरंजन करेंगे। यह डर पल प्रतिपल सहर को और भी ज्यादा तेज कर रहा था।" (बाकी की कहानी आपको aman aj जी की प्रोफ़ाइल पर मिल जाएंँगी)

तभी उसे अपने पीछे किसी चीज के सरसराने की आवाज सुनाई दी। पहले तो यह उसे अपना भ्रम लगा। उसने आवाज की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया, मगर जब वहीं आवाज उसे बार-बार सुनाई दी तो अमन ने पीछे मुड़कर देखा। जब उसने पीछे मुड़कर देखा तो वहांँ पर अंधेरे के सिवाए उसे कुछ भी दिखाई नहीं दिया। जिसकी वजह से उसे आवाज के बारे में कुछ पता चल पाता।

किसी बिल्ली की हरकत जानकर वह दोबारा से अपने फोन में मशगूल हो गया। तभी उसे अपने आस पास के वातावरण में एक बदलाव सा महसूस हुआ। पर ये बदलाव थोड़ा अजीब था। आस पास का माहौल रूह को डराने वाला तो बिल्कुल भी नहीं था बल्कि इस तरह के वातावरण से रूह को एक अलग ही सुकून मिल रहा था।

वह इस वातारण में पूरी तरह से खो चुका था। डरा हुआ उसका मन अब पूरी तरह से शांत हो चुका था। वह वातावरण लुप्त उठा ही रहा था की तभी अचानक अमन को अपने कन्धे पर किसी का ठण्डा हाथ महसूस हुआ।

वह एक नाजुक सा हाथ था लेकिन उसके नाखून बहुत बड़े और नुकीले थे जिसके स्पर्श से अमन के पूरे शरीर मे सिहरन सी दौड़ गई। उसका राइटिंग का अनुभव चीख चीखकर बता रहा था की ऐसा स्पर्श सिर्फ और सिर्फ चुड़ैल का होता है।

मस्तिष्क में इतना विचार आते ही डर उसके मन में घर कर गया। हिम्मत जुटाकर जब उसने पीछे मुड़कर देखा तो अमन की आंँखें आश्चर्य की वजह से खुली की खुली रह गई। उसके ठीक सामने नीली आंँखों वाली एक प्यारी सी लड़की खड़ी हुई थी। उस लड़की के चेहरे पर मन को लुभावने वाली मुस्कान साफ साफ दिखाई दे रही थी जोकि किसी के भी मन को मोह सकती थी।

ऊपर से उसके मध्यम आकार के बाल जोकि हवा में बड़े ही कलात्मक तरीके से लहरा रहे थे और साथ ही साथ उसकी ख़ूबसूरती में चार चांँद लगा रहे थे। ध्यान से देखने पर पता चला कि वह कोई चुड़ैल नहीं थी बल्कि एक प्यारी सी लड़की थी जिसे वह प्यार से जादुगरनी कहकर बुलाता था।

"अरे भाई हमको तुम्हारी लव स्टोरी नहीं सुननी। हमें लगा तुम्हारे साथ भी कोई भूतिया घटना घटित हुई है।" हर्षित ने अमन की तरफ गुस्से से घूरते हुए कहा।

"लगता है बदला ले रहे हो।" अमन ने अजीब सा मुंँह बनाते हुए कहा।

"नहीं.......भाई नहीं। अब मजाक भी नहीं कर सकते क्या? तुम आगे बताना शुरू करो।" हर्षित ने हाथ से आगे बढ़ने का इशारा करते हुए कहा।

"ठीक है।" इतना कहते ही अमन एक बार फिर से अपनी कल्पनाओं में खो गया और इसके साथ ही उसने आगे बताना शुरू किया।

वह जादूगरनी की आँखों में खोया ही था की उस से पहले ही अमन को अपने आस पास का वातावरण बदलता हुआ महसूस हुआ। अचनाक हुए इस बदलाव की वजह से अमन घबरा गया। आस पास के मौसम की तुलना दम पिशाचों के आने से पहले बनने वाले माहौल से की जा सकती थी।

अमन को ऐसा लगने लगा मानो दम पिशाच खुद उसके प्राण खींचने आए थे। कुछ देर बाद उसके साथ कुछ ऐसा घटित हुआ जिसकी उसने कभी कल्पना भी नही की थी। जिस लड़की को देखकर अमन की रूह को सुकून मिल रहा था, अब उसी लड़की को देखकर उसके प्राण हलक में अटक गए। वह अब किसी जिंदा लाश की तरह बिल्कुल सीधी खड़ी हुई थी। उसका चेहरा सपाट भाव लिए बेहद ही खौफनाक लग रहा था।

तभी अचानक वह लड़की हवा में धीरे धीरे ऊपर की ओर उठने लगी। उसके काले घने बाल हवा में बड़े डरावने तरीके से लहरा रहे थे। उसकी नीली आंँखे बड़े खूंँखार ढंग से चमक रही थी। कमरें में हवा का कोई नामोनिशान नहीं था लेकिन बावजूद इसके उस के कपड़े लहरा रहे थे।

इस दृश्य को देखकर अमन का दिल जोर जोर से धड़कने लगा और साथ ही साथ उसके पैरों ने भी उसका साथ छोड़ दिया। वह एक जोरदार आवाज के साथ धड़ाम से नीचे गिर गया। वह जमीन पर गिरा हुआ था और उसकी नजरें अभी भी लडकी के ऊपर टिकी हुई थी। अचानक से वह हवा में कुछ ऊपर उठने के बाद स्थिर हो गई। वह गुस्से से अमन को घूरे जा रही थी और डर से सहमा हुआ अमन फर्श को घूर रहा था।

कुछ ही क्षणों पश्चात लड़की ने अपनी बाहें हवा में फैला ली। अभी तक उसके बाल सिर्फ लहरा रहे थे लेकिन अब उसके बाल गुरुत्वाकर्षण बल के विरुद्ध ऊपर की ओर गति करने लगे। उसकी नीली आंँखों से अब स्याहियांँ निकलने लगी थी और उसका चेहरा चॉक सा सफेद हो गया था।

जिस लड़की को देखकर कुछ देर पहले तक अमन को ऐसा लग रहा था की मानो उसने अपने जीवन में सब कुछ पा लिया हो। वहीं लड़की इस वक्त उसे साक्षात मौत के दर्शन करा रही थी। पर ये तो सिर्फ शुरुवात थी। जैसे ही उसने अपने फैलाएं हुए हाथों को ऊपर उठाते हुए समेटा अचानक कमरे में रखी प्रत्येक वस्तु हिलने लगी।

इससे पहले की वह कुछ समझ पाता अचानक ही अमन को बहुत सारे पन्नों की एक साथ फड़फड़ाने की आवाज सुनाई दी और जैसे ही उसने पीछे पलटकर देखा तो उसे ऐसा लगा मानो उसकी धड़कने यहीं थम जाएंगी। उसकी सारी पसंदीदा किताबें बुकसेल्फ से निकलकर बड़े खूंखार तरीके से उसी की तरफ ही बढ़ रही थी। वें किताबे बड़ी तेज गति से उसकी तरफ बढ़ रही थी जिस कारण अमन की आँखें खुद ब खुद बन्द हो गई। जैसे ही उसकी आंँख खुली तो उसने देखा की सारी किताबें हवा के बीचों बीच लटकी हुई थी और उनके पन्ने बड़ी तेजी से पलट रहे थे।

उन किताबों के पीछे वह लड़की लगभग छिप गई थी। फिर अचानक वो हुआ जिसकी किसी ने उम्मीद भी नही थी। किताबों के अंदर से काले रंग की स्याहियाँ निकलने लगी और धीरे धीरे उस लडकी के अंदर समाने लगी। जैसे ही किताबों से स्याहियांँ निकलनी बन्द हुई उसके साथ ही वें किताबें एक एक करके फर्श पर गिरने लगी। जब अमन का ध्यान उन किताबों की तरफ गया तो पता चला की उनका प्रत्येक पन्ना पूरी तरह से साफ हो चुका था। शब्दों का तो जैसे कोई नामोनिशान था ही नहीं।

जैसे ही उस लडकी ने पुनः अपनी आंँखे खोली तो वह अन्दर से दहल उठा क्योंकि झील सी नीली आंँखे अब उसे किसी अंधेरी सुरंग की याद दिला रही थी। लडकी ने गुस्से से घूरते हुए अमन की तरफ देखा और अपनी ठंडी आवाज में बोलने लगी। "तुम लोगों को इन गलत आदतों की वजह से पता है हमको कितना दुःख होता है?"

"कौन सी आदत?" अमन ने असमंजन की स्तिथि में पूछा।

"कौन सी आदत? तुम्हें ये भी मालूम नहीं।" उस किताबो के पन्नो की तरह बिल्कुल सफेद दिखने वाली उस लडकी ने तमतमाते हुए कहा और फिर आगे बोली। “दिखावे के चलते तुम लोग किताबें तो खरीद लेते तो पर उन्हें कभी देखते तक नही। इंसानों की तरह हमारी भी भावनाएं होती है। पर गलतआदतें तुम लोगों को बड़ी आसानी से लग जाती है।”

(नॉट— कुछ लोगों को किताबे रखने का बहुत शौक होता है और वे आदत के मुताबिक बहुत सारी किताबें खरीद भी लेते है लेकिन उनको पढ़ते बिल्कुल भी नहीं है। इस तरह की आदत को टसुडोको कहते है। इसी तरह की एक और आदत होती है जिसमें आपको पता होता है आपके लिए क्या करना सही है जैसे सुबह जल्दी उठना अच्छा होता है उसके बाद भी आप नहीं उठ पाते हो सिम्पल वर्ड्स में बोले तो इसका अर्थ है ' प्रभूत्व की कमी' या ' कमज़ोर इच्छाशक्ति'। इस आदत को अकरासिया कहा जाता है जिसकी व्याख्या स्वनियंत्रण की कमी के रूप में की गई है या स्वयं की बेहतर परख शक्ति के प्रतिकूल कार्य करना।)

"नहीं.... नहीं ऐसा कुछ भी नहीं है।" अमन ने डर से हकलाते हुए कहा।

“एक तो चोरी ऊपर से सीना जोरी। तुम कभी अपनी गलती मानते ही नहीं हो।” लड़की ने खा जानी वाली निगाहों से अमन को देखते हुए कहा।

अमन की कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या कह रही थी। जवाब देना तो बहुत दूर की बात थी।

किताबी लड़की अपने लहजे को बरकरार रखते हुए बोली। “तुम लोगों को अच्छे से मालूम होता है बिना रोजगार के कभी प्यार हासिल नहीं होता। फिर भी तुम लोगों को पहले प्यार के पीछे जाना होता है। सही समय पर सही काम कर लो तो तुम लोगों की जिंदगी बन जाए। पर पहले महबूबा के पीछे फिरना है और बाद में हमारी याद आती है।”

"प......पर......!" अमन ने डर में लगभग हकलाते हुए कहा।

“पर वर कुछ नही। जो होना था हो चुका। अब तो परिणाम की बारी है।” लड़की ने आग उगलते हुए कहा।

अपनी बात पूरी करते ही वह आस पास की हवा अपने मुंह से खींचने लगी। धीरे धीरे आस पास की हवा उसके मुंह में जाने लगी। तभी अमन को अपने फोन से निकलता हुआ कुछ दिखाई दिया। वह कुछ सोच पाता उसकी नजर सामने खड़ी हुई लड़की पर पड़ी।

वह अब पहले से कई गुना ज्यादा भयंकर दिखाई दे रही थी। अमन चिल्लाना चाहता था पर उसकी आवाज गलें में ही दब कर रह गई। धीरे धीरे लड़की का रुप परिवर्तित होने लगा। उसका निचला धड़ नाग पाश में बदल चुका था और उसका सिर लड़की का ही था। चेहरे और शरीर का रंग जहर के समान नीले रंग हो चुका था और उसके बाल पहले से भी ज्यादा मोटे हो गए थे।

दरअसल उसके सिर पर बालों का स्थान अनेक सर्पों ने ले लिया था। उसके मुंह में बड़ी सी जीभ लपलपा रही थी। ध्यान से देखने पर पता चला कि वह कोई और नहीं बल्कि ग्रीक मेथोलॉजी की मेड्युसा थी। इस वक्त अगर कोई आम इंसान उसे देखता तो उसका दिल उसका साथ छोड़ देता। अमन के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ।

अचानक से उसकी आंँखों के सामने अंधेरा छाने लगा और सबकुछ उसे धुंधला धुंधला सा नजर आने लगा और वह बेहोश हो गया।

“जब मेरी आंँख खुली तो मैंने खुद को टेबल के ऊपर सिर रखकर लेटा हुआ पाया। पता नही जो घटना रात के समय मेरे साथ घटित हुई थी वह सच थी या फिर मेरा सपना था।”

अमन ने बोलना बंद किया और बाकि के सदस्यों की तरफ देखने लगा। हर्षित के साथ घटित घटना से सब पहले से ही डरे हुए थे। अमन के साथ घटित घटना ने सब के डरों में इजाफा कर दिया था।

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कहानी जारी रहेगी, अगले भाग में.........!

डर : एक खौफनाक एहसास ep 3

लेकिन तभी अचानक मुझे अपने कन्धे पर किसी का ठण्डा हाथ महसूस हुआ। वह एक नाजुक सा हाथ था लेकिन उसके नाखून बहुत बड़े और नुकीले थे जिसके स्पर्श से मेरे पूरे शरीर मे सिहरन सी दौड़ गई। मेरा राइटिंग का अनुभव मुझे चीख चीखकर बता रहा था की ऐसा स्पर्श सिर्फ और सिर्फ चुड़ैल का होता है। मस्तिष्क में इतना विचार आते ही डर मेरे मन में घर कर गया। जब मैंने साहस कर धीरे धीरे पीछे मुड़कर देखा तो मेरी आंँखें आश्चर्य की वजह से खुली की खुली रह गई। मेरे सामने एक नीली आंँखों वाली एक प्यारी सी लड़की खड़ी थी। उस लड़की के चेहरे पर मन को लुभावने वाली मुस्कान साफ झलक रही थी जोकि किसी के भी मन को मोह सकती थी। ऊपर से उसके मध्यम आकार के बाद जोकि हवा में बड़े कलात्मक तरीके से लहरा रहे थे और उसकी ख़ूबसूरती में चार चांँद लगा रहे थे। ध्यान से देखने पर पता चला कि वह कोई चुड़ैल नहीं थी बल्कि एक प्यारी सी लड़की थी जिसे मैं प्यार से जादुगरनी कहकर बुलाता था।
"अरे भाई हमको तुम्हारी लव स्टोरी नहीं सुननी। हमें लगा तुम्हारे साथ भी कोई भूतिया घटना घटित हुई है।" हर्षित ने अमन की तरफ गुस्से से घूरते हुए कहा।

"लगता है बदला ले रहे हो।"अमन ने अजीब सा मुंँह बनाते हुए कहा।

"नहीं भाई नहीं। अब मजाक भी नहीं कर सकते क्या।तुम आगे बताना शुरू करो।" हर्षित ने हाथ से आगे बढ़ने का इशारा करते हुए कहा।
"ठीक है।" इतना कहते ही अमन एक बार फिर से अपनी कल्पनाओं में खो गया और इसके साथ ही उसने आगे बताना शुरू किया:- "पर ये क्या अचानक से उस रूह को सकून देने वाले वातावरण की जगह एक अजीब सी रूह को कंपा देने वाली ठण्ड ने ले ली। इसके साथ साथ अब वातावरण में एक अजीब सी मनहुसियत सी छाने लगी। इस वातावरण की तुलना हम दमपिशाचों के आने से पहले होने वाले वातावरण से कर सकते थे। उस वक्त मुझे ऐसा लगा रहा था मानो खुद दमपिशाच मेरे प्राण खींचने के लिए प्रकट हुए हो। कुछ देर बाद मेरे साथ कुछ ऐसा घटित हुआ जिसकी मै कल्पना तक नहीं कर सकता था। जिस लड़की को देखकर मेरी रूह को सुकून मिल रहा था अब उसी लड़की को देखकर मेरे प्राण हलक में अटक गए। वह लड़की अब किसी जिंदा लाश की तरह सीधी की बिल्कुल सीधी खड़ी थी और इस वक्त उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं था।

 पर तभी अचानक वह लड़की हवा में धीरे धीरे ऊपर की ओर उठने लगी। उसके काले घने बाल हवा में बड़े डरावने तरीके से लहरा रहे थे। उसकी नीली आंँखे बड़े खूंँखार ढंग से चमक रही थी। कमरें में हवा का कोई नामोनिशान नहीं था लेकिन उसके बाद भी उस लडकी के कपड़े लहरा रहे थे। इस दृश्य को देखकर मेरा दिल जोर जोर से धड़कने लगा और मेरे पैरों ने मेरा साथ छोड़ दिया। मै एक जोरदार आवाज के साथ धड़ाम से नीचे गिर गया। मै जमीन पर गिरा हुआ था और मेरी नजरें अभी भी उस लडकी के ऊपर टिकी हुई थी। अचानक वह हवा में कुछ ऊपर उठने के बाद स्थिर हो गई। वह गुस्से से मेरी ही तरफ देख रही थी और मै डर की वजह से जमीन की तरफ देख रहा था। कुछ ही क्षणों पश्चात उसने अपनी बाहें फैला ली। 

डर : एक खौफनाक एहसास ep 3

अभी तक उसके बाल सिर्फ लहरा रहे थे लेकिन अब उसके बाल गुरुत्वाकर्षण बल के विरुद्ध ऊपर की ओर गति करते प्रतीत होने लगे। उसकी नीली आंँखों से अब स्याहियांँ निकलने लगी थी और उसका चेहरा चॉक सा सफेद हो गया था।

 जिस लड़की को देखकर कुछ देर पहले तक मुझे ऐसा लग रहा था की मानो मैंने अपने जीवन में सब कुछ पा लिया हो लेकिन अब वहीं लड़की इस वक्त मुझे साक्षात मौत के दर्शन करा रही थी। पर ये तो सिर्फ शुरुवात थी। जैसे ही उसने अपने फैलाएं हुए हाथों को ऊपर उठाते हुए समेटा अचानक कमरे में रखी प्रत्येक वस्तु हिलने लगी। इससे पहले की मै कुछ समझ पाता अचानक मुझे बहुत सारे पन्नों के फड़फड़ाने की आवाज सुनाई दी और जैसे ही मैंने पीछे पलटकर देखा तो मुझे लगा मेरी धड़कने यहीं थम जाएंगी। मेरी सारी पसंदीदा किताबें बुकसेल्फ से निकलकर बड़े खूंखार तरीके से मेरी तरफ ही बढ़ रही थी। वें किताबे बड़ी तेज गति से मेरी तरफ बढ़ रही थी जिस कारण खुद ब खुद मेरी आंँखे बन्द हो गई। जैसे ही मेरी आंँख खुली तो मैंने देखा की सारी किताबें हवा के बीचों बीच लटकी हुई थी और उनके पन्ने बड़ी तेजी से पलट रहे थे। उन किताबों के पीछे वह लड़की लगभग छिप गई थी। फिर अचानक वो हुआ जिसकी किसी को भी उम्मीद नही थी। किताबों के अंदर से काले रंग की स्याहियाँ निकलने लगी और धीरे धीरे उस लडकी के अंदर समाने लगी। जैसे ही किताबों से स्याहियांँ निकलनी बन्द हुई उसके साथ ही वें किताबें एक एक करके फर्श पर गिरने लगी। जब मेरा ध्यान उन किताबों की तरफ गया तो पता चला की उनका प्रत्येक पन्ना पूरी तरह से साफ हो चुका था। शब्दों का तो जैसे कोई नामोनिशान नहीं था।
 जैसे ही उस लडकी ने पुनः अपनी आंँखे खोली तो मै अन्दर से दहल उठा क्योंकि झील सी नीली आंँखे अब मुझे किसी अंधेरी सुरंग की याद दिला रही थी। अचानक उस लडकी ने गुस्से से घूरते हुए मेरी तरफ देखा और अपनी ठंडी आवाज में बोलना प्रारम्भ किया :–"तुम लोगों को इन गलत आदतों की वजह से पता है हमको कितना दुःख होता है?" 

"कौन सी आदत?" अमन ने असमंजन की स्तिथि में पूछा।

"कौन सी आदत? तुम्हें ये भी मालूम नहीं।" उस किताबो के पन्नो की तरह बिल्कुल सफेद दिखने वाली उस लडकी ने तमतमाते हुए कहा और फिर आगे बोलना शुरू किया:-"तुम लोग इतनी क़िताबें खरीद तो लेते हो लेकिन उन्हें पढ़ते कभी नहीं हो। तुम लोगों को क्या मालूम की हम किताबों की भी भावनाएंँ होती है, हमें भी अपना नजरंदाज किया जाना बुरा लगता है। जीतना तुम लोग हमारा सम्मान करते हो हम भी तुम लोगों को उतना ही ज्ञान देती भी है।"

(कुछ लोगों को किताबे रखने का बहुत शौक होता है और वे बहुत सारी किताबें खरीद भी लेते है लेकिन उनको पढ़ते बिल्कुल भी नहीं है। इस तरह की आदत को टसुडोको कहते है। इसी के तरह की एक और आदत होती है जिसमें आपको पता होता है आपके लिए क्या करना सही है जैसे सुबह जल्दी उठना अच्छा होता है उसके बाद भी आप नहीं उठ पाते हो सिम्पल वर्ड्स में बोले तो इसका अर्थ है ' प्रभूत्व की कमी' या ' कमज़ोर इच्छाशक्ति'। इस आदत को अकरासिया कहा जाता है जिसकी व्याख्या स्वनियंत्रण की कमी के रूप में की गई है या स्वयं की बेहतर परख शक्ति के प्रतिकूल कार्य करना। लगता है ज्यादा ही ज्ञान झाड़ दिया है 

डर : एक खौफनाक एहसास ep 3

नहीं.... नहीं ऐसा कुछ भी नहीं है।" अमन ने डर से हकलाते हुए कहा।

"ऐसा ही है! तुम लोग ग़लत आदतो को तो एकदम से पकड़ लेते हो जो तुम लोगों के लिए नुकसानदायक  होती हैं पर जो आदतें तुम लोगो के लिए फायदेमंद होती है उन से तुम लोग दूर भागते रहते हो।"

अमन की कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह इन बातों का क्या ज़वाब दे क्योंकि वह खुद उस लड़की की बात से सहमत था।

उस लड़की ने उसी लहज़े में अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा:-"जिस प्यार मोहबत की वजह से लोग बर्बाद हो जाते है तुम लोगों को उसी के पीछे जाना होता है अगर तुम लोग उसमें से कुछ समय और प्यार हमें मतलब अपनी किताबों को दो तो हम तुम लोगों की जिन्दगी बना देंगी मगर तुम लोगों के ये बात आसानी से समझ कहांँ आती है इसलिए हमने इस लड़की का रूप धारण किया जिससे तुम लोगों को ये बात समझाई जा सके।" 

"प......पर......!" अमन ने डर में लगभग हकलाते हुए कहा।

"पर वर कुछ नहीं। अब तो तुम्हें भुगतना ही पड़ेगा इतना कहते ही उस लड़की ने बहुत दम लगाकर मुंँह से हवा खींची जिसके कारण अमन के फोन से कुछ शब्द निकलने शूरू हो गए और इसी के साथ साथ उस लड़की का रूप भी बदलना शुरू हो गया। अब वह पहले से भी खूंँखार दिख रही थी। उसकी आंँखे जहर सी नीली हो चुकी थी और उसके होठ काले पड़ चुके थे। उसका धड़ तो इंसानों का था लेकिन उसके धड़ से नीचे का हिस्सा किसी नागपाश जैसा था। उसके बाल पहले के मुकाबले बहुत बढ़ गए थे और मोटे भी हो गए थे। दरअसल अब उसके सिर पर बालों का स्थान अनेक सर्पों ने ले लिया था। उसकी बड़ी सी जीभ लपलपा रही थी। ध्यान से देखने पर पता चला की वह कोई और नहीं बल्कि ग्रीक मेथोलॉजी की मेड्युसा थी। इस वक्त अगर कोई आम इंसान उसे देखता तो उसका ह्रदय उसका साथ छोड़ देता। मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। अचानक मेरी आंँखों के सामने अंधेरा छाने लगा और मुझे सबकुछ धुंधला धुंधला नजर आने लगा। उसके बाद पता नही क्या हुआ क्योंकि मै बेहोश हो गया था। जब मेरी आंँख खुली तो मै अपनी टेबल के ऊपर सिर रखकर लेटा हुआ था। पता नही जो घटना रात के समय मेरे साथ घटित हुई थी वो सचमुच हुई थी या मेरा सपना था।

 इसके साथ ही अमन ने बोलना बन्द कर दिया और बाकी लोगों की तरफ देखने लगा।



पहले हर्षित और उसके बाद अमन का डर सुनने के बाद सब लोग बहुत डर चुके थे क्योंकि दोनों के डर बड़े ही विचित्र प्रकार के डर थे जिसकी वजह से उनका डर और भी बढ़ गया।
 
To be continued............

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17 Comments

Gunjan Kamal

31-Mar-2022 09:50 AM

Nice part 👌

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Milind salve

09-Dec-2021 07:12 PM

Good

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Priyanka Rani

01-Dec-2021 08:56 PM

बहुत खूबसूरत, रोचकता बाला भाग

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